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Uttarakhand news: Gaura Devi of tanakpur Champawat did not give up to beating of poverty, running e-rickshaw. Gaura Devi E-Rickshaw
Pic: Tanakpur E-Rickshaw Driver Gaura Devi

उत्तराखण्ड

चम्पावत

उत्तराखण्ड: गरीबी की ऐसी मार, गौरा देवी ने नहीं मानी हार, ई रिक्शा चलाकर पाल रही परिवार

Gaura Devi E-Rickshaw: विपरीत परिस्थितियों से लड़ते हुए परिवार की जिम्मेदारी संभाल रही हैं गौरा देवी, थोड़ी सी मुसीबत आने पर हारकर बैठ जाने वाले लोगों के लिए है मिसाल, एसडीएम हिमांशु कफल्टिया और एआरटीओ सुरेंद्र कुमार ने भी की गौरा देवी के कार्य की सराहना…

वैसे तो यह बात शत प्रतिशत सत्य है कि गरीबी उन लोगो के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं जो दिनभर की कड़ी मेहनत के बाद दो वक्त की रोटी के लिए भी मोहताज होते हैं। लेकिन बावजूद इसके कुछ संघर्षशील लोग ऐसे भी होते हैं जो गरीबी की इन विपरीत परिस्थितियों में भी हार न मानकर न सिर्फ खुद के पैरों पर खड़े होने का साहस रखते हैं बल्कि कड़ी मेहनत के बाद अपने संघर्षों के बलबूते परिवार का कुशलतापूर्वक भरण पोषण कर दूसरों को जीने की नई राह दिखाते हैं। आज हम आपको उत्तराखंड की एक ऐसी ही महिला से रूबरू कराने जा रहे हैं जिसे गरीबी और बेबसी ने दुखों के पहाड़ के नीचे जीने को मजबूर कर दिया परन्तु बावजूद इसके उसने हार नहीं मानी। यही कारण है कि वह आज परिवार का भरण पोषण करने के लिए ई रिक्शा को रोजगार का जरिया बना चुकी है। जी हां.. हम बात कर रहे हैं राज्य के चम्पावत जिले के टनकपुर की महिला ई रिक्शा चालक गौरा देवी की। 56 वर्ष की उम्र में भी उनका यह जोश और जज्बा न सिर्फ उनकी स्वाभिमानी होने का परिचय देता है बल्कि तनिक सी विपरीत परिस्थितियों में हार मान लेने वाले लोगों को भी एक गहरी सीख देता है।
(Gaura Devi E-Rickshaw)
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प्राप्त जानकारी के अनुसार 56 वर्षीय गौरा देवी चंपावत जिले की पहली तथा एक मात्र महिला ई रिक्शा चालक हैं। बता दें कि गौरा देवी टनकपुर की सड़कों में दिन की तपती धूप में ई रिक्शा चलाती हैं। बताते चलें कि बोहरागोठ निवासी गौरा देवी पर कुदरत ने एक साथ दुखों की बौछार की हुई है। लगभग 6 वर्ष पहले जहां उनके रिक्शा चालक बेटे की अकस्मात मौत हो गई वहीं बेटे की मौत के बाद लगभग 2 वर्ष पहले गौरा देवी के पति कल्लू राम की भी मृत्यु हो गई। जिस कारण बेटे तथा पति की मौत के बाद बहु एवं बच्चों की जिम्मेदारी का बोझ गोरा देवी के सर पर आ गया। लेकिन बावजूद इसके गौरा देवी ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने इन विपरीत परिस्थितियों में न सिर्फ खुद को संभाला बल्कि धैर्य रखकर परिवार की जिम्मेदारी उठाने का संकल्प लिया। अपने संकल्पों को पूरा करने के लिए उन्होंने बैंक से कर्ज निकालकर ई-रिक्शा खरीद लिया और टनकपुर की सड़कों पर उतर गई। हालांकि ई रिक्शा चलाने के दौरान शुरू में गोरा देवी को बहुत सी परेशानियों का सामना भी करना पड़ा। क्योंकि कुछ स्थानीय लोग गोरा देवी के इस काम को सही नजरिए से नहीं देखते थे और उसकी आलोचना करते थे। लेकिन गौरा देवी ने हिम्मत ना हारते हुए अपने कार्य को जारी रखा।
(Gaura Devi E-Rickshaw)
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बता दें कि गौरा देवी रोज सुबह टनकपुर की सड़कों पर सुबह 9:00 से शाम को 6:00 बजे तक ई रिक्शा चलाती हैं। ई-रिक्शा से गौरा देवी की रोज की कमाई ₹300 तक होती है लेकिन ₹300 से ई-रिक्शा का लोन तथा घर के खर्च पूरे नहीं हो पाते। इसके लिए गौरा देवी ई रिक्शा चलाने के पश्चात लोगों के घरों में जाकर काम भी करती है। यह उनका स्वाभिमान और दृढ़ संकल्प का ही परिणाम है कि इतनी विपरीत परिस्थितियों में मेहनत मजदूरी कर परिवार की गुजर बसर करने वाली गौरा देवी ने अभी तक किसी के सामने हाथ नहीं फैलाए है। वह खुद के दम पर परिवार का भरण पोषण करने में जुटी हुई है। यही कारण है कि अब उनका यह प्रयास सार्थक होता नजर आ रहा है। टनकपुर के एसडीएम हिमांशु कफल्टिया और एआरटीओ सुरेंद्र कुमार ने गौरा देवी के इस सराहनीय कार्य की तारीफ करते हुए कहा है कि ई-रिक्शा के जरिए महिलाएं रोजगार का कार्य कर सकते हैं इस बात को गौरा देवी ने सही साबित कर दिखाया है। दोनों अधिकारियों का कहना है कि गौरा देवी ने अन्य महिलाओं को भी अपने इस कार्य से प्रेरित किया है। गोरा देवी के इस कार्य के लिए भविष्य में प्रशासन द्वारा गौरा देवी को सम्मानित किया जाएगा।
(Gaura Devi E-Rickshaw)

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