Ajay Bijalwan Surkanda Devi: उत्तराखंड मां सुरकंडा देवी दरबार के उपासक अजय बिजलवान
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Ajay Bijalwan Surkanda Devi: दिव्य है इस दरबार की महिमा, निसंतानों को मिलती हैं संतान, मां की कृपा से ठीक होते हैं अस्पतालों से थके हारे लोग….
विश्व प्रसिद्ध बाबा बागेश्वर धाम सरकार के दरबार से तो आप परिचित ही होंगे लेकिन क्या आपको पता है कि उत्तराखंड में भी ऐसा ही एक दरबार लगता है। जी हां.. बात हो रही है ऋषिकेश क्षेत्र के मुनि की रेती क्षेत्र में लगने वाले मां सुरकडा देवी डोली उपासक, भागवत आचार्य अजय बिजलवान महाराज के दिव्य दरबार की, जिसकी खबर इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी तेजी से प्रसारित हो रही है।
(Ajay Bijalwan Surkanda Devi)
मंदिर के मुख्य पुजारी सचिन डबराल के अनुसार आचार्य अजय बिजलवान पर मां सुरकंडा देवी की कृपा बाल्यकाल से ही है। जब वह महाविद्यालय के छात्र थे, तभी से प्रत्येक रविवार को दिव्य दरबार लगाकर लोगों का कल्याण करते रहते हैं। उन्होंने बताया कि देवभूमि उत्तराखंड में कण-कण में भगवान मौजूद हैं। यहां अनेकों चमत्कार होते रहते हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड देवी देवताओं की पावन भूमि है। यहां दैवीय चमत्कार होना कोई अचरज की बात नहीं है।
(Ajay Bijalwan Surkanda Devi)
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आपको बता दें कि मां सुरकंडा देवी के दरबार में कुछ दंपति अपने नवजात शिशु के साथ ऐसे भी पहुंचे जिन्हें लंबे समय बाद मां का संतान सुख मिला। इसके साथ ही कुछ लोग ऐसे भी थे जो लंबे समय से आईसीयू में थे और मां की शक्ति से उनके दरबार में उपस्थित हुए। आपको बता दें कि मां सुरकंडा देवी का दरबार ऋषिकेश से नटराज चौक रिलायंस पेट्रोल पंप टिहरी रोड से आगे चंद्रा पैलेस होटल से आगे भुवनेश्वरी मंदिर भजन गढ़ रोड पर लगता है।
(Ajay Bijalwan Surkanda Devi)
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अभी तक मिल रही जानकारी के मुताबिक मां सुरकडा देवी डोली उपासक, भागवत आचार्य अजय बिजलवान महाराज मूल रूप से राज्य के टिहरी गढ़वाल जिले के डूब क्षेत्र के क्यारी पिडांस गांव के रहने वाले हैं। विस्थापित होने के बाद उनका परिवार हरिद्वार जिले के पथरी क्षेत्र में रहता है। उन्होंने अपनी शिक्षा दर्शन महाविद्यालय ऋषिकेश से प्राप्त की है। वह बताते हैं कि महज चार वर्ष की उम्र से उन पर देवी की कृपा होने लगी थी। इसके साथ ही उनके ईष्ट देव घंटाकर्ण महाराज एवं कुलदेवी मां भुवनेश्वरी का भी उन पर आशीर्वाद है। यही कारण है कि कई मुसीबतें आने के बाद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी। बताया गया है कि उन पर सुरकंडा देवी अवतरित होती है। हालांकि उन्होंने सुरंकडा देव डोली की स्थापना कुछ ही वर्षों पूर्व की है, इससे पहले वह थाल (देवी का व्यक्ति के शरीर में अवतरण) द्वारा लोगों की समस्याओं का निदान करते थे
(Ajay Bijalwan Surkanda Devi)
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